प्राचीन धार्मिक ग्रंथो में पग- पग पर हवन की महिमा का गान किया गया है I वेद में यज्ञ का विषय प्रधान है I क्योकि यज्ञ एक ऐसी पद्धति है जिससे मनुष्य का भौतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से कल्याण होता है I भगवान् यज्ञ से प्रसन्न होते है I श्रीमद्भगवद गीता ‘ में कहा गया है – प्रजापति ब्रह्मा ने मनुष्यो के साथ ही साथ यज्ञ को भी उतपन्न किया और उनसे कहा कि इस यज्ञ के द्वारा तुम्हारी समस्त मनोकामनाए पूर्ण होगी I इस ग्रन्थ में यह भी उल्लिखित है कि समस्त प्राणी अन्न से उतपन्न होते है और अन्न की उत्पति वर्षा से होती है I वर्षा यज्ञ से होती है और यज्ञ शुभ कर्मो से होता है I ‘वैदिक हवन विधि’ नामक इस पुस्तक में यज्ञ – हवन के सम्बन्ध में विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया है I इस पुस्तक में दुर्गा सप्तशती के पथ के बाद होने वाले हवन को एक उदाहरण के रूप के लिया गया है I देवपूजन के अलावा अन्य सामग्री का विभिन्न देवताओ के यज्ञ में परिवर्तन कर दिया जाता है I उस बारे में आप लेखक से परामर्श भी ले सकते है I प. शशि मोहन बहल द्वारा लिखित यह ऐसी उपयोगी पुस्तक है जिसकी आवश्यकता धर्म प्रेमियों को वर्षो से थी I
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